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Why A2 Ghee is very costly ? / देसी गौमाता का घी इतना महँगा क्यों होता है ?

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  देसी गौमाता का घी इतना महँगा क्यों होता है ?   Why A2 Ghee is very costly ? नमस्कार दोस्तों  Indian Desi Cow Group  से महेश भाई का आप सब को जय गौमाता  दोस्तों आज हम बात कर ने जा रहे है देसी गौमाता के घी के बारे में। आजकल मार्किट में बहुत सारे लोग देसी गौमाता का A2 घी बेच रहे है। दोस्तों हमने देखा है की बाजार में ये घी 800 से लेकर 5500 प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है। आप सबको और हमको भी एक सवाल ने थोड़ा परेशान किया है की देसी गौमाता के घी के भाव में इतना अंतर क्यों है ? फिर हमने थोड़ा रिसर्च किया और हम आप के सामने आज इसी विषय पे बात करेंगे तो फिर चले देखते है की देसी गौमाता का घी इतना महँगा है क्यों ? आजकल देसी गौमाता के सारे उत्पाद का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है ये अच्छी बात है। दोस्तों हमने देखा की Covid (कोरोना) जैसी महामारी का सामना करने के बाद आज का आधुनिक मनुष्य ये चीज़ जरूर समज चूका है की अच्छा और सेहतमंत खुराक कितना जरुरी है। आजकल Organic और देसी नस्ल की गौमाता के उत्पाद बहुत बेचे जा रहे है वो भी बहुत अलग अलग कीमतों पे। कोई देसी गौमाता का घी जो 800...

ज्यादातर देसी गौमाता के डेरी फार्म क्यों सफल नहीं होते है ?

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ज्यादातर देसी गौमाता के डेरी फार्म क्यों सफल नहीं होते है ? नमस्कार दोस्तों    सब को गौमाता अपने आशीर्वाद से सफल और सुखी करे ऐसी हमारी प्राथना।  दोस्तों आज हम एक बहुत ही गंभीर विषय पे चर्चा करने जा रहे है हमें आशा है की आप ये आर्टिकल पूरा पढ़ेंगे और बहुत ध्यान से समझेंगे भी  जिससे आपको अपने देसी गौमाता के डेरी फार्म के व्यवसाय में सफलता मिल सके और हमारी महेनत भी सफल हो सके। हमारे कई सारे अनुभव और अभ्यास के आधार पर हम कुछ बातो पे आपके साथ चर्चा करेंगे।  दुसरो से प्रभावित होकर निर्णय लेना एक बड़ी भूल साबित होती है।  दोस्तों आजकल जितने भी लोग देसी गौमाता के डेरी फार्म के व्यवसाय में आ रहे है उनमे से ज्यादातर लोग दूसरे लोगो से प्रभावित होकर डेरी फार्म के व्यवसाय में कूद पड़ते है। कोई इंसान अगर सफल है देसी गौमाता के डेरी फार्म के व्यवसाय में तो आप वो भी देखे के उसने कितनी महेनत की है और कितनी जानकारी हासिल कर के उनका सही दिशा में आचरण किया है।  Social Media का बुरा प्रभाव।  आजकल Social Media बहुत ही ज्यादा लोग उपयोग कर रहे है और Social Media पे प्रसारित ह...

कांकरेज गौमाता के बारे में पूरी जानकारी - एक बार जरूर पढ़े

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कांकरेज गौमाता कंकरेज उत्तर गुजरात के कांकेरज जिले से आने वाले गायो की एक भारतीय नस्ल है। उन्हें अन्य कई नामों से भी जाना जाता है - बन्नई, नगर, तालाबड़ा, वाघियार, वागड़, वगेद, वाढियार, वाधिर और वाडियल। कंकरेज गाय भी अच्छी दूध देने वाली हैं और प्रति लैक्टेशन में लगभग 1800 से 2100 किलोग्राम उपज देती हैं। यह नस्ल बुखार को रोकने के लिए प्रतिरोधी है और बीमारियों को बहुत कम दर्शाती है। गायो की भारतीय नस्लों में से एक सबसे भारी माना जाता है, वे बहुत सक्रिय और मजबूत भी हैं। गांवों में कृषि संचालन और सड़क परिवहन मुख्य रूप से इस नस्ल के बैल द्वारा किया जाता है। यह नोट करना प्रासंगिक है कि इस नस्ल के जानवरों को ब्राजील, कुछ लैटिन अमेरिकी देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में निर्यात किया गया है। ब्राजील में कंकरेज गायो से विकसित गायो की गुज़ेरत नस्ल बहुत समान है लेकिन गहरे रंग की है, बड़ी है और कंकरेज की तुलना में अधिक लंबी है। उनके पास अच्छी गर्मी सहनशीलता और कीट प्रतिरोध भी है। विशेषताएँ   उनके पास व्यापक माथे हैं, केंद्र में बड़े, पेंडुलस और खुले कानों के साथ थोड़ा सा सूखा। ...

गुजरात से गौमाता खरीद ने से पहले एक बार जरूर ये पढ़े और नुकशान से बचे।

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नमस्कार गौप्रेमी दोस्तों  हमारा नाम महेश भाई है और हम गुजरात से है। हमारा ग्रुप जो की इंडियन देसी गौ ग्रुप ( Indian Desi Cow Group ) के नाम से कार्य कर रहा है। हमारे ये समूह का एक ही पवित्र उद्देश्य है की हमारी माता सामान देसी गौमाता को आज के समाज में सन्मान दिला सके और भारत वर्ष की इस पवित्र भूमि पर फिर से गौमाता का प्रसार कर सके। हमारा आपसे निवेदन है की आप हमारे इस प्रयास को अपना सहकार जरूर देंगे।  दोस्तों आज हम आपके सामने एक बहुत ही गंभीर विषय पे चर्चा कर ने जा रहे है। ये प्रयास पवित्र है और अगर इससे किसी भी मनुष्य की भावना आहत होती है तो हम बहुत ही दिल से और नत मस्तक हो कर माफ़ी मांग रहे है।  दोस्तों आजकल देसी गौमाता की गौशाला या बोलिये की डेरी फार्म बनाने में बहुत सारे लोगो का विशेष रूप से प्रयास देखने को मिल रहा है। ये बहुत अच्छी बात है वाकई बहुत ही अच्छी बात है और अगर ये प्रयास जो आजकल लोग कर रहे है वो सफल तरीके से हुआ तो गौमाता को अच्छा स्थान मिलना तय है। आजकल के समय में देसी गौमाता के उत्पाद का महत्व बढ़ रहा है और सही में देसी गौमाता के उत्पाद बहुत ही मूल्यवान भी ह...

गौ माता का महत्व

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हम गाय की सेवा करेंगे तो गाय से हमारी सेवा होगी । सेवक कैसा होना चाहिए इस पर विचार करने से लगता है कि सेवक के हृदय में एक मधुर-मधुर पीड़ा रहनी चाहिए और उत्साह रहना चाहिए, निर्भयता रहनी चाहिए एवं असफलता देखकर उसे कभी भी निराश नहीं होना चाहिए । सेवक से सेवा होती है, सेवा से कोई सेवक नहीं बना करता । इस देश में ही नहीं, समस्त विश्व में मानव और गाय का ऐसा सम्बंध है जैसे मानव-शरीर के साथ प्राणों का । अन्य देशों में गाय का सम्बंध आत्मीय नहीं रहा, कहीं आर्थिक बना दिया गया, कहीं कुछ बना दिया गया (यह वक्तव्य उस समय का है जिस समय भारत में इतने कत्लखाने नहीं खुले थे) । मेरे ख्याल से गाय का सम्बंध आत्मीय सम्बंध है। गाय मनुष्य मात्र की माता है । मेरे दिल में एक दर्द है कि कोई घर ऐसा न हो जिसमें गाय न हो, गाय का दूध न हो । हर घर में गाय हो और गाय का दूध पीने को मिलना चाहिए । गाय ने मानवबुद्धि की रक्षा की है । बेईमानी का समर्थन करना और उससे एक-दूसरे पर अधिकार जमाना – यह प्रवृत्ति आज बढ़ती जा रही है । इसका कारण है कि बुद्धि सात्त्विक नहीं है, बुद्धि सात्त्विक क्यों नहीं है ? कारण, मन सात्त्विक नहीं है।...

वर्मीकम्पोस्ट

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  वर्मीकम्पोस्ट  केंचुए गोबर को खाद के रूप में परिवर्तित करते है। हम सभी जानते है की भूमि में पाए जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुत ही उपयोगी है। मनुष्य के लिए इनका महत्व सर्वप्रथम सन 1881 में विश्व विख्यात जिव वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपने 40 वर्षो के अध्ययन के बाद बताया। इसके बाद हुए अध्ययनों से केंचुओ की उपयोगिता उससे भी अधिक साबित हो चुकी है जितनी की डार्विन ने कल्पना की थी। भूमि में पाए जाने वाले केंचुए खेतो में पड़े पेड़ पौधों के अवशेषों और कार्बनिक पदार्थो को खाकर छोटी गोलियों के रूप में परिवर्तित कर देते हैजो पौधों के लिए देशी खाद का काम करती है। इसके अलावा केंचुए खेतो में ट्रेक्टर से भी अच्छी जुताई कर देते है जो पौधों को बिना नुकशान पहुचाये अन्य कोई विधि से संभव नहीं हो सकती है।  केंचुओ द्वारा भुमि की उवर्रता (Fertility) उत्पादकता (Productivity) और भुमि के भौतिक रसायनिक व् जैविक गुणों को लम्बे समय तक अनुकूल बनाये रखने में मदद मिलती है। केंचुओ की कुछ प्रजातियां भोजन के रूप में प्राय: अपघटनशील व्यर्थ कार्बनिक पदार्थो (Bio - Degradable Organic waste) का ही उपयोग...

स्वच्छ दूध उत्पादन

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स्वच्छ दूध उत्पादन  स्वच्छ दूध उत्पादन डेयरी उद्योग का एक महत्वपूर्ण पहलू है। खाद्य पदार्थ में दुग्ध को सर्वोत्तम संतुलित खाद्य पदार्थ माना गया है क्योकि इसमें शरीर के लिए आवश्यक विभिन्न पोषकतत्व शरीर की आवश्यकता के अनुरूप एक निश्चित मात्रा में मौजूद होते है। चुकी दुग्ध जीवाणु की वृद्धि के लिए एक अच्छा माद्यम है, अत: अशुद्ध दूध मनुष्यो में अनेक रोगो का कारक है। जीवाणुओं से युक्त दूध और उसके उत्पादकों के सेवन से मनुष्य में कई सारी बीमारिया हो सकती है। इसीलिए जन स्वास्थ्य पर अशुद्ध दुग्ध के दुष्प्रभाव को देखते हुए स्वच्छ दूध उत्पादन की महत्ता और भी बढ़ जाती है।  स्वच्छ दुग्ध उत्पादन कैसे करे स्वच्छ दुधारू पशु से साफ स्थान पर साफ बर्तन में स्वच्छ व्यक्ति द्वारा निकाला गया दूध स्वच्छ दूध कहलाता है।  ध्यान रखने योग्य बाते: डेयरी फार्म की साफ-सफाई  पशुओ की साफ-सफाई साफ पानी की समुचित व्यवस्था संपर्क में आनेवाले व्यक्ति की साफ-सफाई फार्म पर प्रयुक्त बर्तनो की साफ-सफाई  पशुओ के लिए स्वच्छ एवं पौष्टिक पशु आहार  उचित समय पर दूध दोहन  उचित विधि द्वारा दूध दोहन...